राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को गिराने में असफल रहने के बाद सचिन पायलट के पास कोई विकल्प बाकी नहीं बचा है। इसलिए वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पहला यह कि यदि उनकी योजना अपनी पार्टी बनाने की है तब उन्हें यह देखना होगा कि राजस्थान की राजनीति
राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को गिराने में असफल रहने के बाद सचिन पायलट के पास कोई विकल्प बाकी नहीं बचा है। इसलिए वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पहला यह कि यदि उनकी योजना अपनी पार्टी बनाने की है तब उन्हें यह देखना होगा कि राजस्थान की राजनीति में तीसरी पार्टी के लिए कोई स्थान नहीं है और ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में 2 पार्टी सिस्टम ही कामयाब रहा है।
दूसरी बात यह है कि सचिन गुर्जरों को अपनी पार्टी में ला सकते हैं मगर पिछले चुनावों में ज्यादातर गुर्जरों ने भाजपा का साथ दिया था तथा भाजपा ने भी उनसे मुख्यमंत्री पद देने का कभी भी वायदा नहीं किया है। इसके अलावा सचिन को यह भी मालूम है कि भाजपा से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कोई ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं देखी है। जब तक वसुंधरा राजे सिंधिया तथा गजेन्द्र सिंह शेखावत की भाजपा में सशक्त पकड़ है तब तक सचिन के लिए कोई मौका नहीं है। सचिन के पास कोई भविष्य नहीं मगर भाजपा में शामिल होने के अलावा उनके पास कोई विकल्प भी नहीं।
भाजपा से नाराज गुर्जर
हरियाणा में ओमप्रकाश धनकड़ की भाजपा प्रमुख के तौर पर नियुक्ति के बाद हरियाणा के गुर्जर भाजपा हाईकमान के निर्णय से नाराज हैं। इससे पहले सांसद तथा केंद्र में राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर को राज्य भाजपा के प्रमुख पद के लिए उनका नाम सुझाया गया है मगर जाटों के दबाव के बाद जोकि हरियाणा में गैर-जाट मुख्यमंत्री होने के कारण नाराज हैं, भाजपा हाईकमान ने कृष्णपाल गुर्जर के स्थान पर एक जाट नेता धनकड़ के नाम का निर्णय किया। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार गुर्जर समुदाय की नाराजगी न केवल हरियाणा में बल्कि यू.पी. दिल्ली तथा राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों में भी प्रभाव डालेगी। इसके अलावा इसका असर मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा उप चुनावों पर भी पड़ेगा जहां पर गुर्जर ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में बहुमत में हैं।